जीवित है महिषासुर के वंशज
असुर’ देश की प्राचीन तथा आदिम जनजाति में से एक है। ये आधुनिक व वर्तमान समाज से उपेक्षित है। शिक्षा की अलख से दूर, सरकारी बुनियादी सुविधाओं से वंचित. कहा जाता है, अफ्रीका से विस्थापित होकर ये भारत आये थे। भारत की सिंधु सभ्यता की स्थापना से लेकर मोहन-जो-दरो व हड़प्पा से इनका सम्बन्ध है। लोहा गलाकर औज़ार बनाने की कला असुरों की देन है। समय के साथ ये नहीं बदले। ये जनजाति देश के विभिन्न क्षेत्रों के जंगल व चाय बागान इलाके में सिमट कर रह गये। इनकी भाषा, संस्कृति व पहचान भी सिमट गई। इनकी गलती इतनी है कि ये महिषासुर के वंशज है। इनके पूर्वज महिषासुर के भक्त व दुर्गा पूजा के विरोधी थे। दुर्गा पूजा के दौरान शोक मनाते थे। उनका मानना था, उनके रक्षक को दुर्गा ने छल कपट से वध कर दिया। इस मान्यता का खामियाज़ा इनके वर्तमान पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा है।
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