चाय सुंदरी के नाम पर रंगली चाय बागान में बन रहा सोसाइटी, चाय श्रमिकों के भविष्य से खिलवार का राज्य सरकार पर लगा आरोप
दार्जिलिंग । चाय सुंदरी के नाम पर रंगली चाय बागान को उखाड़ कर फेंक दिया गया है। वहां के चाय बागान श्रमिकों को कहा गया कि रंगली चाय बागान में रिजॉर्ट या होटल बनाया जायेगा। लेकिन एक स्वस्थ चाय बागान को उखाड़कर वहां सोसाइटी बनाये जा रहे है। यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। अबउत्तरायन की तरह रंगली टी स्टेट में भी बागान श्रमिक लोगों के घरों में बरतन मांजने को मजबूर होंगे। इस तरह से सरकारें चाय बागान मजदूरों का भविष्य अंधकार में डाल रही है। आज करोड़ों रुपये का पीएफ घोटाला, श्रमिकों की चाय की टोकरी, गमबुट सहित अन्य सामग्री के पैसे को लेकर घोटाला किया जा रहा है। दार्जिलिंग के 84 टी गार्डन की समस्याओं को लेकर शुक्रवार को दार्जिलिंग के भानुभवन में सुनवाई के बाद एक एनजीओ की अधिवक्ता वंदना राई ने कुछ इन्हीं शब्दों में राज्य व केंद्र सरकार पर श्रमिकों के भविष्य से खिलवार करने का आरोप लगाया। स्वयंसेवी संगठन की अधिवक्ता वंदना राई ने दार्जिलिंग के विभिन्न चाय बागान श्रमिकों की दूर्दशा व उनके अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन डाला था। इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमिशन गठन कर जस्टिस एएम सापरे को मामले की छानबीन की जिम्मेदारी सौंपी गयी। शुक्रवार को दार्जिलिंग के भानुभवन में जस्टिस सापरे, राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल, पीएफ विभाग के अधिकारी, ट्रे़ड यूनियन के सदस्यों सहित श्रमिकों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी को होने वाली है।
सुनवाई के बाद दार्जिलिंग के विभिन्न चाय बागानों के श्रमिकों ने गोर्खा रंगमंच के बाहर गेट मिटिंग किया। जिसमें श्रमिकों ने मिनिमम वेजेज, जमीन का पर्चा पट्टा प्रदान, बागान में एंबुलेंस की कमी, बागान की अन्य सुबिधाएं प्राप्त करने के लिए श्रमिकों को 180 दिन काम करने को बाध्य करना आदि समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद किया। दार्जिलिंग के चुंदु चाय बागान निवासी ललित मंगर जैसे कई श्रमिकों ने कहा कि समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण यह आन्दोलन किया जा रहा है। कोई भी राजनैतिक पार्टी हो या ट्रे़ड यूनियन सभी श्रमिकों के नाम पर अपनी रोटियां सेक रहे हैं। कोई भी श्रमिकों के हित में काम नहीं कर रहा है।
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