तस्करों व बीएसएफ के बीच टकराव का बढ़ा इलाका, प्रशासनिक बैठक में मुख्यमंत्री ने बीडीओ-आईसी को चेताया
सिलीगुड़ी। — पश्चिमबंगाल के लगभग 2,216 किलोमीटर इलाका भारत-बांग्लादेश सीमांत इलाका है। इसमें लगभग 1,600 किलोमीटर कांटा तार से घिरा है, लेकिन 500 किलोमीटर से ज्यादा इलाका आज भी खुला है। जिसमें गंगा व महानंदा नदी का इलाका भी शामिल है। इस खुले इलाके से दोनों देशों के बीच चल रहे विभिन्न अवैध व आपराधिक क्रिया कलाप से हम अंजान नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ की क्षमता बढ़ाते हुए उसे 50 किलोमीटर इलाके तक छानबीन का अधिकार दिया गया है। वहीं राज्य सरकार द्वारा इसका लगातार विरोध किया जा रहा है। 7 दिसंबर को उत्तर दिनाजपुर जिले में प्रशासनिक बैठक में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इलाके के बीडीओ व आईसी को स्पष्ट निर्देश दिया है कि बीएसएफ के अनाधिकार प्रवेश व इससे कोई अप्रीय घटना ना घटे इसपर कड़ी नजर रखें। पुलिस अपने इलाके में बीएसएफ को प्रवेश ना करने दें इसके लिए भी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं। जाहिर है बीएसएफ की क्षमता बढ़ने से सीमांत पर अपराध घटे या ना घटे, टकराव अवश्य बढ़ेगा।
मालदा से लेकर दक्षिण व उत्तर दिनाजपुर, दार्जिलिंग जिले का फुलबाड़ी सीमांत व कूचबिहार जिले का विस्तीर्ण इलाका बांग्लादेश से सटा है। इनमें विभिन्न प्रकार या यूं कहें कि हर प्रकार का अवैध कारोबार सक्रीय है। नशा तस्करी हो या मानव तस्करी, पशु तस्करी हो या हथियार, सीमांत इलाके में दिनरात इन अवैध कारोबार का बोलबाला चलता है। वहीं इसे रोकने के लिए बीएसएफ के जवान भी दिनरात सीमांत की निगरानी पर चौकस हैं। लेकिन कभी बीएसएफ जवानों की आंखों में धूल झोंककर तो कभी उनके साथ मिलीभगत कर ये अवैध कारोबारी अपना काम निकाल ही लेते हैं। बीएसएफ के साथ इन अपराधियों का मुठभेड़ भी लगा रहता है। बीएसएफ की गोली से सीमांतवासियों की जाने जाती हैं तो कभी सीमांतवासियों के हमले में बीएसएफ के जवान घायल या शहीद तक हो जाते हैं। लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों व सीमांत इलाकों में अपराध कम होते नहीं दिख रहा। मालदा में गंगा व महानंदा नदी मार्ग से सर्दी के दिनों में घने कोहरे का सहारा लेकर ये अवैध कारोबार और तेज हो जाते हैं। मालदा हो या कूचबिहार सीमापार एक गाय पहुंचाने का मेहनताना मिलता है 10 हजार रुपये। तस्कर शाम होने से पहले ही स्थानीय लोगों से तालमेल बनाकर उनके ग्वालघर में अपनी गाय रख जाते हैं, रात बढ़ते ही वे खुद आकर इन गायों को उसपार पहुंचाते हैं। स्थानीय राजनैतिक हस्तियां सबकुछ देखकर भी अनदेखा मूक दर्शक हैं। सरकार द्वारा बीएसएफ की क्षमता बढ़ाते हुए उसे 50 किलोमीटर इलाके तक छानबीन का अधिकार दिया गया है। या यूं कहे कि अब तस्करों व बीएसएफ के बीच टकराव का इलाका बढ़ गया है।
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